देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद more info नाम महिमा तव गाई।
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं more info भागीरथ भारी ।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन